24 December 2017

Forest Resources (वन सम्पदा)

1865 में भारत का पहला वनों से सम्बंधित कानून भारतीय वन अधिनियम पारित किया गया। इससे वनों की अन्धाधुंध कटाई में लगाम लगी। 1948 में केंद्रीय वानिकी परिषद् की स्थापना की गई।
राष्ट्रीय वन नीति 1998 के अनुसार देश के कुल क्षेत्रफल के 33 प्रतिशत भाग में वन होना आवश्यक है, जिसमे पर्वतीय क्षेत्र में न्यूनतम 60 प्रतिशत व मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत वन आवश्यक हैं।
पर्यावरण एवं मंत्रालय की 14 वीं द्विवार्षिक भारत वन रिपोर्ट 2015 के अनुसार उत्तराखण्ड में  24240 वर्ग किलोमीटर है, जो की राज्य के क्षेत्रफल के 45.32 प्रतिशत है।
उत्तराखण्ड  में क्षेत्रफल की दृष्टि से वन क्षेत्र का घटता क्रम-

  1. पौड़ी गढ़वाल: 3271 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र।
  2. उत्तरकाशी:
  3. नैनीताल: जिले के भौगोलिक क्षेत्र का 72.64 प्रतिशत वन क्षेत्र जो की सर्वाधिक प्रतिशत है।
  4. चमोली:
  5. टिहरी:
  6. पिथौरागढ़:
  7. देहरादून:
  8. अल्मोड़ा:
  9. बागेश्वर:
  10. चम्पावत:
  11. रुद्रप्रयाग:
  12. हरिद्वार:
  13. उधम सिंह नगर: 564 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र, भौगोलिक क्षेत्र का 22.19 प्रतिशत वन क्षेत्र जो की न्यूनतम है  

वनों के प्रकार:-


उपोष्ण कटिबंधीय वन: ये 1200 मीटर से कम ऊँचाई वाले क्षेत्र में पाये जाते हैं। साल इन वनों का सबसे मुख्य वृक्ष है। और अन्य प्रमुख वृक्ष कुंज, सेमल, हल्दू, खैर, सीसू और बाँस हैं।
उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन: ये 1500 मीटर से कम ऊँचाई वाले क्षेत्र में पाये जाते हैं। इन क्षेत्रों में कम वर्षा होती है व इन वनों की सबसे मुख्य प्रजाति ढाक, सेमल, गूलर, जामुन व बेर आदि हैं।
उष्ण कटिबंधीय आद्र पतझड़ वन: ये 1500 मीटर तक की ऊँचाई पर पाये जाते हैं। इन्हे मानसूनी वन भी कहते हैं। दून एवं शिवालिक श्रेणियों में ऐंसे वन पाये जाते हैं। इन वनों में सागौन, शहतूत, पलाश, अंजन, बहेड़ा, बांस और साल प्रमुख हैं।
कोणधारी वन: ये 900 मीटर से 1800 मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्र में पाये जाते हैं। चीड़ इसका मुख्य वृक्ष है।
पर्वतीय शीतोष्ण वन: ये वन 1800 से 2700 मीटर तक की उँचाई पर पाये जाते हैं। इन वनों में स्प्रूस, सिल्वर, फर, देवदार, साइप्रस और ओक प्रमुख हैं।
एल्पाइन वन: ये 2700 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर प्राप्त होते हैं। जिनमे सिल्वर, फर, ब्ल्यू ,पाइन, स्प्रूस, देवदार, बर्च और बुरांस प्रमुख हैं।
एल्पाइन घास भूमि: ये 3000 मीटर से 3600 मीटर की ऊँचाई पर पाये जाते हैं। इनमे जूनिफर, विलो, रिब्स प्रमुख हैं।
टुंड्रा तुल्य वनस्पति: ये 3600 मीटर से 4800 मीटर की ऊँचाई पर पाये जाते हैं।

उत्तराखण्ड  में वन सम्बन्धी आंदोलन:-

  • रंवाई आन्दोलन 
  • चिपको आन्दोलन 
  • डूंगी पैंतोली आन्दोलन 
  • पाणी राखो आन्दोलन 
  • रक्षासूत्र आन्दोलन 
  • मैती आन्दोलन 
बांज का पेड़: इसे "उत्तराखण्ड का वन दान" / "शिव की जटा" भी कहते हैं। विश्व में इसकी कुल 40 प्रजातियाँ हैं
व उत्तराखण्ड  में 5  प्रजातियाँ हैं -सफेद, हरा/मोरु, भूरा/खरस, फल्यांट व रियाज।

20 December 2017

Adventure Tourism (साहसिक पर्यटन)

उत्तराखण्ड में स्थित पहाड़, झीलें, झरने व नदियाँ साहसिक पर्यटन के लिये पयटकों को उत्तराखण्ड की ओर आकर्षित करते हैं।

स्कीइंग:

औली: चमोली जनपद में समुद्र तट से 2800 मीटर स्थित एक खुबसूरत स्थल है। यह स्कीइंग के लिये पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ 2018 की स्कीइंग चैम्पियनशिप होना तय हुआ है।
दयारा बुग्याल: ऊंचाई पर पाये जाने वाले घास के मैदानों को बुग्याल कहते हैं। यह उत्तरकाशी जनपद में स्थित है। यह भी स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है।
मुंडाली: मुंडाली देहरादून जनपद के चकराता में स्थित है। यहाँ भी स्कीइंग के लिए सुन्दर ढालें हैं।

ट्रेकिंग :

उत्तराखण्ड पहाड़ी राज्य होने के कारण यहाँ पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग के कई अवसर हैं। यहाँ गौरी घाटी-मुनस्यारी, मिलम ग्लेशियर-रालम ग्लेशियर, गंगोत्री-केदारनाथ, केदारनाथ-वासुकीताल, फूलों की घाटी-हेमकुण्ड ट्रेक जैसे बेसुमार ट्रेकिंग स्थल हैं।
नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ़ मॉउंटेनियरिंग (NIM): नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ़ मॉउंटेनियरिंग की स्थापना, पर्वतारोहियों को प्रशिक्षित करने के लिए 14 नवम्बर को 1965 को उत्तरकाशी में की गई।

राफ्टिंग:

राफ्टिंग उत्तराखण्ड में सबसे लोकप्रिय साहसिक खेल है। उत्तराखण्ड में बहती नदियाँ बर्फीली ढलानों, घने जंगलों, चट्टानों, पहाड़ों से गुजरकर पर्यटकों को रोमांचक अनुभव की अनुभूति प्रदान करते हैं। अलकनन्दा, धौली गंगा, काली आदि नदियों में कई राफ्टिंग शिविर लगते हैं राफ्टिंग के लिए शिवपुरी से कौडियाला के मध्य के स्थान बहुत प्रसिद्ध हैं।

कैम्पिंग:

उत्तराखण्ड प्रकृति की गोद में बसा है जिससे यह कैम्पिंग के लिए शानदर स्थान है। टोंस घाटी, मसूरी झारिपानी, मालदेवता कैम्पिंग औली, चोपता, नैनीताल, बिनसर, शिवपुरी, उत्तराखण्ड में कैम्पिंग के लिए कुछ लोकप्रिय  स्थान हैं।

माउंटेन बाइकिंग:

हिमालय के सुन्दर दृश्यों और जोखिम भरी ढालों व चट्टानों के बीच बाइकिंग पर्यटयकों को रोमांचित करती है।
रुद्रप्रयाग-अगस्तमुनि-उखीमठ-चोपता-गोपेश्वर मार्ग, श्रीनगर-पौड़ी-खिर्सू-पाबौ-सतपुली-लैंसडाउन-कोटद्वार मार्ग, हरिद्वार-धूलखंड-मोहन-देहरादून मार्ग, नैनीताल-भवाली-रामगढ-मुक्तेश्वर मार्ग, अल्मोड़ा-कोसी-काठपुरीया-शीतलाखेत मार्ग, बाइकिंग के लिए उत्तराखण्ड में स्थित कुछ प्रसिद्ध मार्ग हैं। 

Forest Resources (वन सम्पदा)

1865 में भारत का पहला वनों से सम्बंधित कानून भारतीय वन अधिनियम पारित किया गया। इससे वनों की अन्धाधुंध कटाई में लगाम लगी। 1948 में केंद्रीय ...