17 December 2017

Independence Movements in Uttrakhand (उत्तराखण्ड में स्वतंत्रता संग्राम)

1857 में चम्पावत के बिसुंग गांव के कालू मेहरा ने क्रांतिवीर संगठन की स्थापना की। (कालू मेहरा उत्तराखण्ड का पहला स्वतंत्रता सेनानी था।)
1870 में डिबेटिंग क्लब की स्थापना की गई।
1871 अल्मोड़ा अख़बार का प्रकाशन शुरु हुआ।
1886 में जवालादत्त जोशी ने कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में भाग लिया।
1903 में पण्डित गोविंद बल्लभ पन्त ने हैप्पी क्लब की स्थापना की।
1905 में गढ़वाल यूनियन ने देहरादून से गढ़वाल पाक्षिक प्रकाशन शुरु किया जो 1913 से साप्ताहिक हो गया।
1911-1917 में उत्तराखण्ड में वन नीति का विरोध हुआ।
1913 को बद्रीदत्त पांडेय अल्मोड़ा अखबार के संपादक बने।
1914 विक्टर मोहन जोशी, बद्रीदत्त पांडेय, चिरंजीलाल व हेमचंद द्वारा होमरूल की स्थापना  गई।
1916 में कुमाऊं परिषद गठन किया गया, जिसका 1926 को कांग्रेस में विलय हो गया।
1918 के अल्मोड़ा अख़बार के होली के अंक में बद्रीदत्त पांडेय के लेख ने डिप्टी कमिश्नर लामस के काले कारनामों पर प्रहार किया, जिससे अल्मोड़ा अख़बार पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
1918 को बैरिस्टर मुकुन्दी लाल व अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा ने गढ़वाल कांग्रेस कमेटी की स्थापना की।
1919 कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में बैरिस्टर मुकुन्दीलाल व अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा ने भाग लिया।
1921 में 40000 स्वतंत्रता सेनानियों ने बागेश्वर में सरयू नदी में कुली बेगार के रजिस्टर नदी में बहा दिए और कुली बेगार न करने की शपथ ली।
14 जून 1929 से 2 जुलाई 1929 गांधी जी व नेहरू जी ने कुमाऊं की यात्रा की। गांधी जी 12 दिन कौसानी में रहे व यहां गांधी जी ने "अनाशक्ती योग" की रचना की।
(गांधी जी  कौसानी को उत्तराखण्ड का स्विट्ज़रलैंड कहा।)
16 अक्टूबर 1929 से 24 अक्टूबर 1929 में गांधी जी ने गढ़वाल की यात्रा की।
26 जनवरी 1930 को टिहरी रियासत छोड़ उत्तराखण्ड में  अलग अलग स्थानों में तिरंगा फहराया गया।
12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी ने साबरमती से डांडी तक डांडी मार्च किया। इसमें 78 लोगों ने भाग लिया जिनमें 3 उत्तराखंडी थे(ज्योतिराम कांडपाल, खड़क बहादुर, भैरव दत्त जोशी)।
23 अप्रैल 1930 को 2/18 गढ़वाल राइफल के वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली ने पेशावर में निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से मना कर दिया। इस घटना को पेशावर कांड के नाम  जाना जाता है।
1930 में दुग्गडा ( पौड़ी गढ़वाल ) में राजनैतिक सम्मेलन हुआ।
1937 में भवानी सिंह रावत ने गडोदया डकैती को अंजाम दिया।
1937 में शांति लाल त्रिवेदी जी ने चुनौदा ( सोमेश्वर) में गांधी आश्रम की स्थापना की।
1941 में सरला बहन ने कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की  व मीरा बहन ने ऋषिकेश में पशुलोक की स्थापना की।
5 सितंबर 1942 को खुमाड़ ( सल्ट क्षेत्र) में पुलिस ने जनता पर गोलियां चलाई।(गांधी जी ने कुमाऊं के सल्ट क्षेत्र को उत्तराखण्ड  बारदौली कहा।)
खुमाड़ में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शहीद स्मृति दिवस मनाया जाता है।
आजाद हिन्द फौज : आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्डियों ने महत्तवपूर्ण भागीदारी निभाई। इसमें लगभग 2500 उत्तराखंडी सैनिक थे। कैप्टन बुद्धि शरण बिष्ट बोस के निजी सहायक, पितृशरण रतूड़ी सुभाष रेजिमेंट की प्रथम बटालियन के कमांडर व सूबेदार लेफ्टिनेंट चन्द्र सिंह नेगी सिंगापुर ऑफिसर्स ऑफ ट्रेनिंग के कमांडर थे।

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