17 December 2017

Pancheswar Dam (पंचेश्वर बांध)

पंचेश्वर बांध काली नदी पर प्रस्तावित एक द्वी-राष्ट्रीय, बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना है। काली नदी को कालापानी गाड़, शारदा व महाकाली के नाम भी जाना जाता है व इसका पौराणिक नाम श्यामा है। यह लिपुलेख दर्रे के पास कालापनी नामक स्थान से निकलती है। और भारत नेपाल के बीच अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनती है। 1954 में जवाहर लाल नेहरू ने पंचेश्वर बांध परियोजना की बात कही थी व 1981 में यह परियोजना प्रस्तवित हुई। 12 फरवरी 1996 को इस परियोजना को शुरू करने के लिए भारत और नेपाल के "मध्य महाकाली जल विकास संधि" के नाम से एक समझौता हुआ। उत्तराखंड राज्य सरकार ने 2012 में इसको मंजूरी दी। भारत और नेपाल की सरकारों ने 2014 में "भारत और नेपाल पंचेश्वर बांध प्राधिकरण" का गठन कर इस परियोजना को साकार करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया। इस प्राधिकरण का मुख्यालय महेन्द्रनगर (नेपाल) में स्थापित किया गया है।
पंचेश्वर बांध, रूस के 335 मीटर ऊंचे 'रोगुन बांध' के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा बांध होगा इसकी ऊंचाई 315 मीटर होगी और यह चीन के 'थ्री जोन्स बांध ' के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध होगा। इस परियोजना से भारत व नेपाल का लगभग 134 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो जायेगा; जिसमे 120 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भारत का व 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र नेपाल का होगा। पंचेश्वर बांध को नियंत्रित करने के लिए दो बांध - रुपाली गाड़ बांध (लगभग 240 मेगावाट) व पूर्णागिरि बांध (240 मेगावाट) भी बनेंगे। पंचेश्वर बांध सरयू और काली नदी के संगम के 2 किलोमीटर नीचे बनेगा Rock Fill Technique से बनेगा। 2018 से इस परियोजना का कार्य शुरू हो जायेगा। इसका निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य 2028 रखा गया है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 34 हजार करोड़ है व इससे 4800 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन होगा। और तीनो बांधों को मिलकर 6400 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो सकेगा।
पंचेश्वर बांध परियोजना से बिजली उत्पादन के साथ-साथ सिंचाई व्यवस्था का विकास भी होगा और इससे बरसात के समय काली नदी व इसकी सहायक नदियों के कारण आने वाली बाढ़ के प्रभाव को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। इसके द्वारा उत्पादित बिजली का 12 प्रतिशत उत्तराखण्ड को रॉयल्टी के रूप में मिलेगी।
एक और इस बांध के बनाने से अनेकों फायदे होंगे तो इस परियोजना से पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा में लगभग 150 गाँव प्रभावित होंगे। इनके पुनर्वास की व्यवस्था करना एक चुनौती भरा काम है। क्योंकि ये बांध भूकम्प जोन 4 में बन रहा है, तो कुछ भू वैज्ञानिक इस बात से चिंतित भी हैं की इतना बड़ा बाँध इस क्षेत्र की भूगर्वीय हलचलों को बड़ा देगा।

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