17 December 2017

Medieval History of Uttrakhand (उत्तराखंड का मध्यकालीन इतिहास)

कुमाऊँ का चन्द वंश


थोहर चन्द:
इनको चन्द वंश का संस्थापक माना गया है।
गरुड़ ज्ञान चन्द:
ये एक शक्तिशाली चन्द शासक थे।
देव चन्द:
ये  एक अयोग्य शासक था इसे चन्द वंश का तुगलक भी कहा जाता है।
कल्याण चन्द चतुर्थ:
इस काल में रोहिलाओं ने कुमाऊँ पर आक्रमण किया, जिससे कुमाऊं को अत्याधिक नुकसान हुआ। इस स्थित में गढ़वाल के शासक प्रदीपशाह ने कल्याण चन्द की मदद की।
महेंद्र चन्द:
ये चन्द वंश के अंतिम शासक थे व 1790 में गोरखा शासक रणबहादुर से पराजित हुए।

कुमाऊँ के प्रमुख किले
खगमरा किला: इसका निर्माण भीष्म चन्द ने करवाया व यह अल्मोडा में  स्थित है।
लालमण्डी किला(फोर्ट मोयरा): इसका निर्माण राजा कल्याण चन्द ने 1563 करवाया। अल्मोड़ा पल्टन बाजार  स्थित है।
सिरमोही किला: यह लोहाघाट में स्थित ग्राम सिरमोली में है।
राजबुंगा किला: इसका निर्माण सोमचन्द ने किया व यह चम्पावत में स्थित है।
नैथड़ा किला: यह गोरखाकालीन किला है व अल्मोडा में स्थित है।
मल्ला महल किला: इसका निर्माण कल्याण चन्द ने करवाया। ये अल्मोड़ा नगर में स्थित है वर्तमान में यहाँ कचहरी जिलाधीश कार्यालय व अन्य सरकारी दफ्तर हैं।

गढ़वाल का परमार वंश 

परमार वंश का संस्थापक कनकपाल को माना गया है।
अजयपाल:
इन्होने राजधानी को चांदपुरगढ़ी से देवलगढ़ व इसके बाद 1517 में श्रीनगर स्थानान्तरित की।
भानुप्रताप:
ये प्रतापी परमार शासक थे।
बलभद्रशाह:
इन्होने सर्वप्रथम शाह की उपाधि ली।
मानशाह:
ये अति प्रतापी शासक थे और "गर्वभञ्जन" व  "महाराजाधिराज" की उपाधि ली।
महीपति शाह:
इनकी पत्नी रानी कर्णावती (नाक कटी रानी) थी। इनके सेनापति माधोसिंह थे।
पृथ्वीपति शाह:
इन्होने दारा शिकोह के पुत्र सुलेमान शिकोह को आश्रय दिया। इनकी संरक्षिका रानी कर्णावती थी। इसी समय 1635 में नवाजत खान के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने दून पर आक्रमण कर दिया, जिसे रानी कर्णावती ने असफल किया। 
फतेहपति शाह:
इन्होने 1676 में सिख गुरु राम राय को दून में आश्रय दिया।
प्रद्युमन शाह:


इन्होने 1791 में गोरखा आक्रमण को असफल कर गोरखाओं से "लँगूरगढ़ की संधि" की। 1795 में भयंकर अकाल पड़ा व 1803 में भीषण भूकम्प आया, जिससे गढ़वाल को बहुत नुकसान पहुंचा। फरवरी 1803 में गोरखाओं ने अमर सिंह थापा व हस्ती दल चौतरिया के नेतृत्व में गढ़वाल में आक्रमण किया। 14 मई 1804 को खुड़बुड़ा के निर्णायक युद्ध में प्रद्युमन शाह शहीद हो गये। गोरखाओं ने सम्मान के साथ इनका अंतिम संस्कार किया। प्रद्युमन शाह के दो पुत्र थे- पहला प्रीतम शाह इससे गोरखाओं ने काठमांडू में नजरबन्द कर दिया और दूसरा सुदर्शन शाह जो हरिद्वार चला गया व अपने राज्य को पुनः हासिल करने की कोशिशें करने लगा।

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