6 मई 1938 को पण्डित जवाहर लाल नेहरू जी ने कहा कि "इस पर्वतीय अंचल को अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति की समृद्ध करने के अवसर व अधिकार मिलने चाहिए।"
1938 में श्री देव सुमन ने पृथक राज्य हेतु गढ़ सेवा संघ की स्थापना की बाद में इसका नाम हिमालय सेवा संघ कर दिया गया।
1946 को हल्द्वानी में बद्रीदत्त पांडेय द्वार पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा व अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा गढ़वाल को पृथक इकाई के रूप में गठित करने की मांग की।
1950 को हिमालयी राज्य (हिमाचल व उत्तराखण्ड) के लिए पर्वतीय जन विकास समिति का गठन हुआ।
1954 में विधानपरिषद सदस्य इन्द्र सिंह नयाल द्वार पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पृथक विकास योजनाओं का आग्रह किया।
1955 में फजल अली आयोग ने इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाने के उद्देश्य से उत्तरप्रदेश पुनर्गठन आयोग की स्थापना की।
1957 ने मानवेन्द्र शाह ने पृथक राज्य आन्दोलन को अपने स्तर से शुरु किया।
1979 में उत्तराखण्ड क्रांति दल की स्थापना की गई, व इसके अध्यक्ष देवीदत्त पन्त बनाए गए।
23 अप्रैल 1987 में त्रिवेंद्र पंवार ने अलग राज्य की मांग हेतु संसद में पत्र बम फेंका।
20 अगस्त 1991 तत्कालीन राज्य सरकार (जिसका नेतृत्व बी जे पी कर रही थी।) ने पहली बार पृथक उत्तरांचल राज्य के गठन के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा।
1993 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अलग राज्य के गठन के लिए कौशिक समिति गठन किया।
1 सितम्बर 1994 को खटीमा गोलीकांड में लगभग 25 लोग शहीद हुए।
2 सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड में लगभग 8 लोग शहीद हुए।
2 अक्टूबर 1994 को रामपुर तिराह गोलीकांड में लगभग 8 लोग शहीद हुए।
15 अगस्त 1996 में प्रधानमंत्री हरदनहल्ली देवगौड़ा ने उत्तरांचल राज्य निर्माण की घोषणा की।
1 अगस्त 2000 को उत्तरांचल राज्य विधेयक लोकसभा पारित हुआ।
10 अगस्त 2000 को उत्तरांचल राज्य विधेयक राज्यसभा पारित हुआ।
28 अगस्त को राष्ट्रपति कोच्चरिल रमण नारायण द्वारा उत्तरांचल राज्य विधेयक को मंजूरी मिली।
9 नवंबर 2000 देश का 27 वां राज्य बना।
1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम उत्तराखण्ड किया गया।
1938 में श्री देव सुमन ने पृथक राज्य हेतु गढ़ सेवा संघ की स्थापना की बाद में इसका नाम हिमालय सेवा संघ कर दिया गया।
1946 को हल्द्वानी में बद्रीदत्त पांडेय द्वार पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा व अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा गढ़वाल को पृथक इकाई के रूप में गठित करने की मांग की।
1950 को हिमालयी राज्य (हिमाचल व उत्तराखण्ड) के लिए पर्वतीय जन विकास समिति का गठन हुआ।
1954 में विधानपरिषद सदस्य इन्द्र सिंह नयाल द्वार पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पृथक विकास योजनाओं का आग्रह किया।
1955 में फजल अली आयोग ने इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाने के उद्देश्य से उत्तरप्रदेश पुनर्गठन आयोग की स्थापना की।
1957 ने मानवेन्द्र शाह ने पृथक राज्य आन्दोलन को अपने स्तर से शुरु किया।
1979 में उत्तराखण्ड क्रांति दल की स्थापना की गई, व इसके अध्यक्ष देवीदत्त पन्त बनाए गए।
23 अप्रैल 1987 में त्रिवेंद्र पंवार ने अलग राज्य की मांग हेतु संसद में पत्र बम फेंका।
20 अगस्त 1991 तत्कालीन राज्य सरकार (जिसका नेतृत्व बी जे पी कर रही थी।) ने पहली बार पृथक उत्तरांचल राज्य के गठन के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा।
1993 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अलग राज्य के गठन के लिए कौशिक समिति गठन किया।
1 सितम्बर 1994 को खटीमा गोलीकांड में लगभग 25 लोग शहीद हुए।
2 सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड में लगभग 8 लोग शहीद हुए।
2 अक्टूबर 1994 को रामपुर तिराह गोलीकांड में लगभग 8 लोग शहीद हुए।
15 अगस्त 1996 में प्रधानमंत्री हरदनहल्ली देवगौड़ा ने उत्तरांचल राज्य निर्माण की घोषणा की।
1 अगस्त 2000 को उत्तरांचल राज्य विधेयक लोकसभा पारित हुआ।
10 अगस्त 2000 को उत्तरांचल राज्य विधेयक राज्यसभा पारित हुआ।
28 अगस्त को राष्ट्रपति कोच्चरिल रमण नारायण द्वारा उत्तरांचल राज्य विधेयक को मंजूरी मिली।
9 नवंबर 2000 देश का 27 वां राज्य बना।
1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम उत्तराखण्ड किया गया।
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