गढ़वाल राइफल्स
गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 5 मई 1887 को अल्मोड़ा में हुई, बाद में इस बटालियन को कालोडांडा (लैंसडाउन) नामक पहाड़ी स्थान पर फाैजी छावनी बनाने के लिए भेजा गया।
गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन के नायक दरबान सिंह नेगी पहले उत्तराखंडी सैनिक थे, जिन्हें 1914 में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया। उत्तराखण्ड के लैंसडाउन में गढ़वाल राइफल्स के रेजिमेंटल संग्रहालय को इनके नाम पर दरबान सिंह संग्रहालय नाम दिया गया है।
राइफलमैन गब्बर सिंह नेगी को मर्णोपरान्त विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया।
गढ़वाल राइफल नीति वाक्य "युद्ध कृति निश्चय" है।
कुमाऊं रेजिमेंट
कुमाऊं रेजिमेंट की स्थापना 27 अक्टूबर 1945 को हुई। 1948 को इसका मुख्यालय आगरा से रानीखेत स्थापित किया गया। कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन के मेजर सोमनाथ शर्मा को 1947 में मर्णोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। ये परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।
कुमाऊं रेजीमेंट का नीति वाक्य "पराकर्मों विजयते" है।
गोरखा बटालियन
1815 में उत्तराखण्ड में गोरखा राज के पतन के बाद अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए गोरखा भर्ती में छूट मिल गई।
बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर ( बी ई जी):
बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर की नींव 1808 में कानपुर में कैप्टन थॉमस ने बंगाल पायनियर्स के नाम से रखी। 1819 में बंगाल सैंपर्स का गठन किया गया। बाद में दोनों को मिलाकर बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर की स्थापना हुई। 1953 में इसका मुख्यालय लुधियाना से रुड़की स्थापित किया गया।
*उत्तराखंड में कुल 9 सैन्य छावनियाँ स्थापित हैं*
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